प्रतिदिन 300 मरीज यहां मात्र 20 रुपये में पाते है इलाज, आइये जानें विस्तार से…
अलीगढ़। कहंते है आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है, जब किसी को कोई मर्ज होता है तो मरीज उसकी दवा की जोजबीं करना शुरू कर देता है। ठीक ऐसा ही हुआ 1990 के बलवे के दौरान जब काफी लोग चोटिल हो गए तो उनके इलाज के लिए अस्पतला की जरूरत हुई, तभी सामाजिक लोगों के द्वारा घायल हुए लोगों के इलाज के लिए एक अस्पताल की नींव रखी गई।
दरअसल पूरा मामला जिला अलीगढ़ का है जहाँ बलवे के दौरान रखी गई एक अस्पताल की नींव अब बड़ी इमारत के रूप में बदल गई है, इमारत भी ऐसी जिस इमारत से हर रोज 300 मरीज सिफा लेकर निकलते हो, जिले के प्राचीन मुस्लिम बहुल इलाके, अपर कोट के सामने भिक्षा, जकात और दान से संचालित, अलीगढ़ राष्ट्रीय अस्पताल की स्थापना 1990 में वर्तमान मुफ्ती मुहम्मद खालिद हमीद के पिता और स्थानीय गणमान्य लोगों, मुफ्ती अब्दुल कय्यूम के प्रयासों से हुई थी। जिसका उद्देश्य अलीगढ़ शहर के विभिन्न क्षेत्रों के गरीब और कमजोर वर्गों को चिकित्सा सहायता प्रदान करना है।
अलीगढ़ राष्ट्रीय अस्पताल, अलीगढ़ शहर का एकमात्र गरीब अस्पताल है जो लोगों को 20 रुपये में तीन दिन की दवा उपलब्ध कराता है और जकात एवं दान के द्वारा चलाया जाता है। अलीगढ़ चैरिटेबल सोसाइटी के महासचिव मुहम्मद गुलज़ार ने एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि अलीगढ़ नेशनल अस्पताल की चार मंजिला इमारत अपने पूर्ण होने के लगभग 20 साल बाद तक बंद रही। 1 जून 2014 को, अस्पताल की चार मंजिला इमारत पूरी होने के लगभग 24 साल बाद, शहर मुफ्ती खालिद हमीद ने एक समिति बनाई, जिसमें स्थानीय युवाओं, बुजुर्गों और व्यापारियों के साथ सहयोग किया। जिसकी सहायता से यह अस्पताल 20 दिनों के लिए तीन दिनों तक दवा प्रदान करता है, जहाँ विभिन्न रोगों के विशेषज्ञ डॉक्टर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
20 रुपये में तीन दिन की दवा की कीमत लगभग पचास से साठ रुपये है और यह सब जकात और दान के साथ हो रहा है, जो कि हम सभी के सहयोग से हो रहा है। हमारे पास कोई सरकारी धन नहीं है, कोई मदद नहीं है। मुहम्मद गुलज़ार ने आगे कहा कि अगर सरकार हमारी मदद करती है, धन मुहैया कराती है तो यह अस्पताल गरीबों के लिए अलीगढ़ का सबसे अच्छा अस्पताल होगा। लगभग 250 से 300 मरीजों के साथ ओपीडी सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक चलती है। हम लोगों की मासिक रसीदें, बलि की खाल, चैरिटी के पैसे काटते हैं, कुछ जकात चैरिटी फंड आते हैं, जिनसे हम अस्पताल चलाते हैं। हमें सरकार से कोई मदद नहीं मिलती है। 1990 में रखी गई थी इस अस्पताल की नींव उधर, मरीज शाइस्ता ने कहा कि यह एक अच्छा अस्पताल है जहां तीन दिनों के लिए अच्छी दवा दी जाती है।